Thursday 16 February 2017

DHARMA IN HINDI (MEANING OF DHARMA)

 धर्म क्या है यह बात हमारे दिमाग मे अक्सर आता है |


 हम अक्सर धर्म की लडायी करते है|


 अपने आप को अपने धर्म को दुसरे धर्म से श्रेष्ट बताते है|


 पर धर्म क्या है धर्म की परिभाषा क्या है?




 क्या आपस मे लडना एक दुसरे धर्म का अपमान करना मार-काट करना ही धर्म है|

 हम ये नही जानते धर्म क्या है|


 धर्म की परिभाषा क्या है |


 धर्म का आरंभ् मानव के सभ्य बनने के बाद शुरु हुआ|



 मानव सभ्य बना उसके सभ्य बनने के बाद वह कबीले मे रहना शुरु किया,





तब उस समूह या कबीले का नियन्त्रण की आवश्यकता पडी|


 उनका नियन्त्रण तथा पालन के लिये कुछ नियम की आवश्यकता पडी|


उनका नियन्त्रण के लिये कुछ  शक्तिशाली लोग आगे आये जो कबीले के राजा हुए|




पर राजा सिर्फ़ कानून बना सकता था, शासन कर सकता था|


कुछ लोग उस अदृश्य शक्ति या जिसे देवता कहा जाता है,


 जिन्होने यहाँ जीवन चक्र का आरंभ् किया उनके संपर्क मे आये|





 उनके संपर्क मे आकर उन्होने वाम मार्ग या सन्यासी मार्ग अपनाया|





वे अन्य लोगो से अलग सन्यासी जीवन बिताने लगे| उनका जयदा समय ध्यान और साधना तथा आराधना मे बितने लगा|







इस तरह उनमे एक नयी ऊर्जा नयी ताकत का संचार हुआ|


उन्होने अपने आप को भगवान् घोषित किया| उनकी पूजा तथा आराधन होने लगी| 

उनकी बात लोग तथा यहाँ तक की राजा भी मानने लगे| उन्होने उन देवता से प्रेरित होकर प्रकति के लिये तथा मानवो के विकास की जानकारी दी| 

उन्होने कुछ नियम बनाये| जिसका पालन उन सभी लोगो ने किया |

 इस तरह धरती पर धर्म का विस्तार हुआ, आरंभ् हुआ|

उन्होने पूजन पद्ति, मन्त्रो  तथा यन्त्रो का निर्मान किया|



 धरती पर जीवन के आरंभ् तथा मानव के सभ्य बनने के बाद अब तक अनको धर्म गुरुओ ने कुछ धर्म तथा उनके गुरु धरती पर अपनी एक छाप छोडी एक मिसाल पेश की|

 कुछ ऐसे धर्म गुरु हुये जो जय्दा फ़ैल गये कुछ ऐसे धर्म थे जो फ़ैल न सके हालाकी उनके नियम तथा देवता काफ़ी अच्छे थे|

 पर या तो उनका विस्तार न हो सका या उन्हे अच्छा नेतृत्व नही मिला या वे शक्ति शाली राजा के संपर्क मे नही आ सके|

क्योकी पारंभ् मे धर्म का विस्तार राजाओ ने किया|.......................